निशा"अतुल्य"

निशा"अतुल्य"
     देहरादून
      हमसफ़र
दिनाँक      13/ 2/ 2020



मेरी पहले बात सुनोगे
मन में सब बात गुनोगे
मन सँग जब विचार मिलेंगे
सफल सतपदी तब ही होगी
*सँग मैं तब ही चलूँगी*


सुनलो मेरी बात जानम
हर जन्म मैं साथ चलूँगी
करना होगा तुमको वादा
प्रताड़ना मैं नहीं सहूंगी।


कर्तव्य अपने पूर्ण करूँगी
बिन बात की बात नहीं सहूंगी
रखना होगा तुम को ध्यान
दहेज की नहीं बात सुनूँगी।


साथ चलना बन के साथी
सुख दुःख सब सँग सहूंगी
रहेंगे जैसे दीया और बाती 
नही कोई दुर्व्यवहार करूँगी।


जान लो तुम बात अब ये
हूँ नहीं अबला सनम मैं
उलटी गर कोई बात हुई--- तो
सनम मैं अलग होऊंगी ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...