: गज़ल
तमन्ना बन तुम्हारी मैं गुले गुलशन सी सजती हूँ
समझ पाओ तो प्रिय समझो मैं तुमसे प्यार करती हूँ
अमावस से भरी राहें सजल करती नयन मेरे
मगर पूनम के चन्दा सी मैं तेरे साथ चलती हूं
कदम थक जायें पर मंज़िल न अपनी भूल जाना तुम अगर देखोगे पलकन से मैं पथ तेरा निरखती हूँ
नहीं आसान है मुझको भुला पाना मेरे हमदम
तुम्हारे दिल में देखो मैं ही धड़कन बन धड़कती हूँ
मेरे पाँवों के काँटों की न करना फ़िक्र तुम ऐसे
मैं अब हर ज़ख्म अपनी ज़िंदगी का हँसकर सहती हूँ
अगर बोली लगे तीखी तो मन को मद्धम मत करना
अगर देखोगे मुड़ कर तो सदा तेरी ही सुनती हूँ
छलकती जा रही गागर भरी है जो ये जीवन की
"निवी" हूँ मैं तुझे केवल तुझे ही दिल में रखती हूं
....
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
निवास : 4/ 56 ,विवेक खण्ड
गोमतीनगर ,लखनऊ
मोबाइल नम्बर : 9415108476
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