मोर छत्तीसगढ़
शुद्ध और चमकदार है
कोमल सेमल पुष्प की तरह
मुलायम है,वह चिकनी है
प्यार देता है, दुर तक उड़ कर
मोर छत्तीसगढ़,मोर छत्तीसगढ़
चूल्हा म आगी सुलगा के
भौजी जाय पनिया
अइ सने तो होथे संगी
मोर गांव म बिहनिया
शुद्ध और चमकदार है
कोमल सेमल पुष्प की तरह
मुलायम है,वह चिकनी है
प्यार देता हैं,दुर तक उड़ कर
मोर छत्तीसगढ़,मोर छत्तीसगढ़
सुबह की ओस,की तरह
पवित्रता है,छत्तीसगढ़ की
छत्तीसगढ़ की,पंखुड़ियां भरी है
शुभ्र भावनाओ, से ओत प्रोत
शुद्ध और चमकदार है
कोमल सेमल, पुष्प की तरह
मुलायम है,वह चिकनी है
प्यार देता है,दुर तक उड़ कर
मोर छत्तीसगढ़,मोर छत्तीसगढ़
पहाटिया काहय, ढ़ीलो ढ़ीलो
खोर म चिचियावत हे
धवरी,टिकली, बलही गईया ल
दईहान बर,बलावत हे
शुद्ध और चमकदार है
कोमल सेमल,पुष्प की तरह
मुलायम है वह,चिकनी है
प्यार देता है,दुर तक उड़ कर
मोर छत्तीसगढ़,मोर छत्तीसगढ़
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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