प्रभु का भजन
जब छोड़ चलू,इस दुनिया को
होठो पे नाम तुम्हारा हो
चाहे स्वर्ग मिले या नरक मिले
हृदय में वास, तुम्हारा हो
जब छोड़ चलू,इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
तन श्याम नाम की चादर हो
जब गहरी नींद में,सोया रहू
कानो में मेरे गुंजित हो
कान्हा बस,नाम तुम्हारा हो
जब छोड़ चलू इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
रसते में तुम्हारा,मंदिर हो
जब मंजिल को,प्रस्थान करू
चौखट पे तेरी मनमोहन
अंतिम प्रणाम हमारा हो
जब छोड़ चलू इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
उस वक्त कन्हैया,आ जाना
जब चिता में,जाके शयन करू
मेरे मुख में तुलसी,मन में राम
इतना बस काम,तुम्हारा हो
जब छोड़ चलू इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
अगर भक्ति की है,मै तुम्हारी
तो मुझको ये,उपहार मिले
इस भक्त का सावरिया
जन्म दुबारा,जग में न मिले
जब छोड़ चलू,इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
चाहे स्वर्ग मिले या नरक मिले
हृदय में वास तुम्हारा हो
जब छोड़ चलू,इस दुनिया को
होठों पे नाम तुम्हारा हो
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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