नूतन लाल साहू

कविता
कविता धरती के गर्भ से
जन्म लेने वाले पौधे की
कोमल डाली है
कविता,आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
कविता कांटो के बीच
गुलाब पैदा करती है
कविता प्रसाद का,वह आंसू है
जो गागर को सागर बना देती है
कविता आदमी को आदमी से
प्यार करना सिखाती है
कविता में प्रभु राम के
बालपन की छबि होती है
जिसे देखकर, मां कौशिल्या का
आंचल,दूध से भर जाती है
कविता,कृष्ण की किलकारी है
जिसे सुनकर, मां यशोदा
मठा,बिलोना भुल जाती है
सर को साधना और
साधना को शक्ति बना देती है
कविता आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
कविता तार तार को शब्द और
शब्द को तीर,बना देती है
कविता,मीरा की लगन है
कबीर का,भजन है
कविता, एक कल्पना है
मै सच कहता हूं,मित्रो
कविता,सत्यम,शिवम्, सुंदरम है
कविता,धरती के गर्भ से
जन्म लेने वालेे,पौधे की
कोमल डाली है
कविता,आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
नूतन लाल साहू


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