कविता
कविता धरती के गर्भ से
जन्म लेने वाले पौधे की
कोमल डाली है
कविता,आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
कविता कांटो के बीच
गुलाब पैदा करती है
कविता प्रसाद का,वह आंसू है
जो गागर को सागर बना देती है
कविता आदमी को आदमी से
प्यार करना सिखाती है
कविता में प्रभु राम के
बालपन की छबि होती है
जिसे देखकर, मां कौशिल्या का
आंचल,दूध से भर जाती है
कविता,कृष्ण की किलकारी है
जिसे सुनकर, मां यशोदा
मठा,बिलोना भुल जाती है
सर को साधना और
साधना को शक्ति बना देती है
कविता आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
कविता तार तार को शब्द और
शब्द को तीर,बना देती है
कविता,मीरा की लगन है
कबीर का,भजन है
कविता, एक कल्पना है
मै सच कहता हूं,मित्रो
कविता,सत्यम,शिवम्, सुंदरम है
कविता,धरती के गर्भ से
जन्म लेने वालेे,पौधे की
कोमल डाली है
कविता,आदमी को आदमी से
प्यार करना,सिखाती है
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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