नूतन लाल साहू
बादर पानी
माघ के महीना, जुड़ जुड़ बिहनिया
रूस रूस रूस रूस, लागय रौनिया
दिन भर, चलय जुड जुड हवा
जुड सरदी,जर बुखार म,हफरत हे दुनिया
सुरुज नारायण ल,देखत हे परानी
जब उगही तब, मिलही रौनिया
गोरसी अंगेठा,अब नदावत हवय
योगासन कर ले,नई लागय, पइसा रुपिया
माघ के महीना,जुड जुड बिहनि या
रूस रूस रूस रूस, लागय रौनिया
जुड सरदी,जर बुखार म, हफरत हे दुनिया
जंगल रुख राई, अडबड़ कटावत हे
बादर पानी ह, कहर बरपावत हे
बीते दिन के, झन रोवव रोना
हो ही उही जोन, हो ही होना
माघ के महीना,जुड जुड बीहनिया
रूस रूस रूस रूस, लागय रौनीया
दिन भर चलय,जुड जुड हवा
जुड सरदी,जर बुखार म, हफरत हे दुनिया
जग म परे हे, विपत भारी
रोग राई संकट,दुर्गति के
दिन गुजरत हे, ओसरी पारी
जलवायु परिवर्तन बर, अडे हे दुनिया
पाप के माते हे चिखला, नईये उजियारी
माघ के महीना, जुड जुड बीहनिया
रूस रूस रूस रूस, लागय रौनिया
दिन भर चलय,जुड जुड हवा
जुड सरदी,जर बुखार म, हफरत हे दुनिया
नूतन लाल साहू
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