नूतन लाल साहू नारी नारी तुम आदि शक्ति हो

नूतन लाल साहू


नारी
नारी तुम आदि शक्ति हो
भुल जाओ,आंखो से नीर बहाने को
रानी लक्ष्मी बाई से, सीख लो
सीखो,बंदूक तीर चलाने को
न समझो, नर की अबला हो
राजा महाराजाओं का तबला हो
तुम तो नर,की खान हो
ज्ञान,शक्ति और धन का भंडार हो
नारी तुम आदि शक्ति हो
भुल जाओ,आंखो से नीर बहाने को
रानी लक्ष्मी बाई से सीख लो
सीखो,बंदूक तीर चलाने को
दुर्योधन ने, द्रौपती का अपमान किया
कौरव वंश का,नाश हुआ
रावण ने सीता जी का,अपहरण किया
सब जानते है,रावण का क्या हाल हुआ
जिसने भी,नारी से नफ़रत किया
उनका, सब कुछ लुट गया
नारी तुम आदि शक्ति हो
भुल जाओ,आंखो से नीर बहाने को
रानी लक्ष्मी बाई, से सीख लो
सीखो,बंदूक तीर चलाने को
नारी तुम तो,घर की लज्जा हो
नारी तुम ही,मन मंदिर की पूजा हो
भव्य आरती,सजाने वाली
मंदिरों में,दीप जलाने वाली
कालो का काल,महाकाली हो
नारी बिन,सृष्टि भी हो जायेगी खाली
नारी तेरी महिमा है,सबसे निराली
नारी तुम आदि शक्ति हो
भुल जाओ,आंखो से नीर बहाने को
रानी लक्ष्मी बाई,से सीख लो
सीखो, बंदूक तीर चलाने को
नारी की,तारीफ कैसे करू
मेरे शब्दों में,इतना जोर नहीं है
सारी दुनिया में,जाकर ढूंढ़ लेना
नारी ही, महाशक्ति है
नूतन लाल साहू


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...