पुन्नी मेला
तोरण पताका,सजे हे मंदिर म
भीड़ लगे हे, बाहिर भीतरी म
जगमग जगमग जोत जलत हे
हुम धूप अगरबत्ती, बरत हे
सजे हे भगवान राजीव लोचन के दरबार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
आवत हे अवइया ह
जावत हे जवइया ह
माथ मुकुट,गला बनमाला
सजे हे भगवान के दरबार ह
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
छत्तीसगढ़ के भुइया चंदन हे
ये धूर्रा नोहय, बंदन हे
मंदिर मस्जिद,गिरजा गुरुद्वारा
सबो धरम,भाषा के हे मेला
सजे हे भगवान राजीव लोचन के दरबार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
तोर शरण म,बिगड़ी बन थे
तोर कृपा लेे, भाग बदलथे
सबला भक्ति, सुम्मत देबे
तोरेच सबो, संतान हरन
सजे हे भगवान राजीव लोचन के दरबार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
आईस राजिम पुन्नी मेला तिहार
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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