अन्तिम सत्य
स्वीकार करो,प्रभु की सत्ता को
मानव तू, सर्वशक्तिमान नहीं है
सदा करो,भक्ति प्रभु की
धुन में हो जा,मतवाला
मस्त हुये,प्रहलाद को देखो
खंभे में ईश्वर को दिखा डाला
स्वीकार करो प्रभु की सत्ता को
मानव तू,सर्वशक्तिमान नहीं है
समझा मन को,मीठा बोल
वाणी का, बाण बहुत बुरा है
दीनानाथ दयानिधि स्वामी
भक्तो का दुख़, हर लेता है
स्वीकार करो प्रभु की सत्ता को
मानव तू,सर्वशक्तिमान नहीं है
मस्त हुए तुलसी को देखो
रामायण को,रच डाला
मस्त हुए हनुमान को देखो
उर में राम को,दिखा डाला
स्वीकार करो,प्रभु की सत्ता को
मानव तू सर्वशक्तिमान नहीं है
अति दुर्लभ,मानव तन पाकर
खो मत जाना, स्वारथ के संसार में
प्यारे प्रभु से,यदि प्रीति करे तो
हो जायेगा, भव सागर पार
स्वीकार करो,प्रभु की सत्ता को
मानव तू,सर्वशक्तिमान नहीं है
जगत में जीवन है, दिन चार
सुमिरन कर ले,हरिनाम
सत्य धर्म से करो कमाई
तेरा होगा,सूखी संसार
स्वीकार करो प्रभु की सत्ता को
मानव तू,सर्वशक्तिमान नहीं है
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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