आफत
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
अधिकारी कर्मचारी आऊ
जनता के मन में भय समागे
वाह रे विज्ञान के चमत्कार
कईसन हे तोर मायाजाल
सोचत रेहेन,सुघघर दिन आ ही
सब झन के मन ल भा ही
सरग ले सूघघर,धरती बन ही
पर होवत हे,नवा नवा
आफत के बरसात
खुशी आऊ आंनद होगे सपना
प्रकृति नइय हो सकय,अपना
मानव चाहे, चांद आऊ मंगल में जाय
मौसम आऊ आफत के निठुरई म
कोनो नई,बच पाय
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
पता नही,आगे का का आ ही
समे के खेल आय
सहिले, विपत पीरा
हिम्मत झन हार
भरोसा ल राख
अंधियार जर जा ही
एकदिन अंजोर बगर जा ही
करम आऊ भक्ति ह
जिनगी के असली हे आधार
नाम कमा ले भाग बना ले
किस्मत के लकीर ल
अपन सत्कर्म से सजा लेे
आफत से बचे के आऊ
कोनो नइये दुसर उपाय
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
अधिकारी कर्मचारी आऊ
जनता के मन में भय समागे
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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