प्रखर दीक्षित फरुखाबाद

जीवन संगिनी को नाम....


तुम राग रागिनी प्रणय तंतु, तुम जीवन का मधु गीत प्रिये।
तुम आत्म शक्ति का प्रबल खम्भ, स्पंदन रा संगीत प्रिये।।तुम धवल चंद्रिका पूनौ की, श्रृंगार मूर्ति श्रद्धा रुपया,
जीवन संगिनि अर्धांग शची, तुम प्रीति रीति प्रतीत प्रिये।।


तुम प्रणय छंद का मधुर द्रुपद, प्रकृति रम्य साकार प्रिये।
तुम बिन बिखरा खण्डहर जीवन, सर्जना सृष्टि उपहार प्रिये।।
तुम जीवन सी पूरणमासी, रहती तम सघन अमावस का,
सुख दुख में  जयति पराजय में , इक सार सदा उपकार प्रिये।।
तुम हो तो दुनियाँ मुट्ठी में, साहस संबल शीतल छाया ।
अर्धांग सबल मुग्धा रसिका, 
तुमसे सुरभित घर सरमाया।।
तुम भाव व्यञ्जना संस्कृति हो, सत संस्कार की पोषर भी,
ज्वाला पानी दोनों धारण , ठहरा विप्लव अद्भुत पाया ।।


तुम अंश शिवानी दुर्गा का, तुम अन्नपूर्णा भरनी हो।
दाम्पत्य सूत्र का भरत वाक्य, शास्त्रोक्त पावनी तरनी हो।।
अनघे सुभगे रतिके वामा, तुम पारुल पांखुर अयस द्व़यी,
क्या हूँ प्रखर समझा इतना , तुम शास्वत हव्य की घरनी हो ।।



प्रखर दीक्षित


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