(011) 🙏🏻 *प्रतिभा प्रभाती* 🙏🏻
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नेह नयन है, नेह नमन है ,
यह नेह जगत का वंदन है।
यह नेह अधर की वाणी है ।
मात पिता को निज वंदन है।
यह सबके माथे चंदन है ।
करूँ मैं कर जोड़, स्पर्श चरण ।
धरूँ शीश,चरण की धूलि है ।
जब मात पिता,सिर हाथ धरें ।
यह अरमानों की झोली है ।
हो घर , बच्चों की किलकारी ।
हर नारी का सम्मान रहे ।
गृहवास स्वयं करती लक्ष्मी ।
घर लक्ष्मीपति भगवान रहे ।
ऐसे घर की करूँ कल्पना ।
निज कर्म धर्म से पूर्ण रहे ।
मात पिता का हो नितवंदन ।
हर घर फिर स्वर्ग समान रहे ।।
🌹प्रतिभा प्रसाद कुमकुम।
दिनांक 11.2.2020...
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