हर भारतीय के दिल की आवाज,
गीतिका छंद के रूप में --
बोल उनके सच कहें तो,
अब हमें भातें नहीं।
सह रहे चुपचाप लेकिन,
हम पचा पाते नहीं।
शूल शब्दों के हमेशा,
ही चुभाए जा रहे।
गालियाॅ॑ भी रोज़ उनकी,
बेवजह हम खा रहे।
बेवजह हर दिन तमाशा,
यार कब तक हम सहें।
खून खौले देख सब कुछ,
चुप कहो कब तक रहें।
मत बढ़ाएं बैर हमसे,
है विनय उनसे यही।
राह टेढ़ी यदि चलेंगे,
हम दिखा देंगे सही।
।। राजेंद्र रायपुर।।
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