🙏आओ कर लें,माँ को प्रणाम 🙏
ममता की मूरत,
नहीं खूबसूरत।
पर चरणों में उसके,
हैं चारो धाम।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।
निष्काम सेवा,
चाह नहीं मिले मेवा।
है दौलत उसकी,
संतान की मुस्कान।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।
दुलारती,पुचकारती,
उतारती है आरती।
ख़ुद के दुख से नहीं,
बच्चों के दुख से,
हो जाती है परेशान।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।
प्रथम गुरू वही,
देती हमें ज्ञान।
चाह बस इतनी,
बनें हम नेक इंसान।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।
माँ, अम्मा, जननी, धात्री,प्रसू,
न जाने कितने हैं उसके नाम।
पर एक ही है काम।
लालन-पालन,
शिक्षा -दीक्षा।
संतान की,
निष्काम।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।
।।राजेंद्र रायपुरी।।
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