राजेंद्र रायपुरी

😌😌    दोहे राजेंद्र के    😌😌


घोड़े  तरसें  घास  को, गदहे  खाएँ  खीर।
देख व्यवस्था आज की,हिय उठती है पीर।


कुत्ते  बोटी खा रहे, गाय  तरसती  घास।
सच्चाई है आज की, मत समझो परिहास।


लम्पट की ही पूछ है, ज्ञानी   होय न पूछ ।
लम्पट  की  झोली भरी, ज्ञानी  बैठा  छूँछ।


शेर नहीं राजा बने, हो  सियार  का  राज।
कोशिश सारे कर रहे, देखो  लम्पट आज।


                  (राजेंद्र रायपुरी)


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