🔔 महाशिवरात्रि पर विशेष 🔔
जय-जय, जय हो जय त्रिपुरारी।
जय-जय जय हो, डमरूधारी।
जय-जय जय हो,जय शिवशंकर,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
भस्म शरीर लगाने वाले।
भाँग - धतूरा खाने वाले।
भक्तों के तुम हो हितकारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
हाथ त्रिशूल, कमर मृगछाला।
लिपटा नाग गले में काला।
नंदी करते सदा सवारी।
जय -जय जय हे, गंगाधारी।
भक्त तुम्हारे, जग में सारे।
करते बम-बम के जयकारे।
उनपर रहती कृपा तुम्हारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
संत तुम्हें निश दिन हैं ध्याते।
ब्रम्हा - विष्णू शीश नवाते।
कह-कह जय भोले -भंडारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
हम भी आए द्वार तिहारे।
लगा रहे बम के जयकारे।
लगती काशी नगरी प्यारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
धन्य कहें हम भाग्य हमारे।
पहुँच गये जो द्वार तुम्हारे।
मनसा पुरवहु नाथ हमारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
।।राजेंद्र रायपुरी।।
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