🤣 नेताओं की नई कहानी 🤣
नेताओं की नई कहानी।
सुन लो यारो कहूँ ज़ुबानी।
ये वो काले नाग न जिनका,
काटे कभी माँगता पानी।
वादों के उस्ताद यही हैं।
जन-धन से आबाद यही हैं।
इनका कहा न मानो यदि तुम,
करते फिर बर्बाद यही हैं।
गिरगिट जैसा रंग बदलते।
हर साँचे में ये हैं ढलते।
पल-पल में देखे हैं हमने,
डंडा-झंडा सभी बदलते।
कहते हम करते जनसेवा।
जग ज़ाहिर खाते हैं मेवा।
सुनें तभी ये बात किसी की,
मिल जाए जब इन्हें कलेवा।
"तुम"से हटकर"आप"कहें ये।
खा लो आलू-चाप कहें ये।
आए जब चुनाव तब भैया,
गदहे को भी बाप कहें ये।
बचकर रहना इनसे भाई।
नेता ना ये सभी कसाई।
झूठ न मानो बातें मेरी,
सच कहता हूँ राम दुहाई।
।।राजेंद्र रायपुरी।।
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