😌 विनय सभी से है यही 😌
विनय सभी से है यही,
छोड़ो वाद-विवाद।
व्यर्थ करो मत ज़िंदगी,
तुम अपनी बर्बाद।
करना ही कुछ है अगर,
करो सभी से प्यार।
गले मिलो तुम प्रेम से,
भर सबको अॅकवार।
चार दिनों की ज़िंदगी,
फिर काहे तक़रार।
जियो इसे तुम इस तरह,
याद करे संसार।
शूल कहो भाता किसे,
फूल बनो तुम यार।
आॅ॑धी जैसा मत बनो,
बनो बसंत बयार।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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