रामबाबू शर्मा"राजस्थानी"*    *दौसा (राज.)*

*ओस की बूँद*
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आओ कुछ सीखें,सीख आज, 
 ओस बिंदु से पावनता ।
मनभावन मोती है ,छू लें,
मानव मानस मानवता ।।


धरा पुत्र भी चहक उठा है,
 फसलों पर लगते मोती ।
आओ हम अभिनंदन करलें,
 ओस शान कुदरत होती।।
💦💧💦💧💦💧💦💧💦
ओस  बूँद  जीवन माया है,
परहित मंगल गाना है ।
अगवानी हम करें ओस की,
खुद मिटकर जग जाना है।।
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करें प्रतिज्ञा पेड़ लगालें,
 फैलेगी महिमा शबनम ।


समय किसी  का नही,सगा है,
सीखें ओस बूंद जम जम।।
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सूरज की अगवानी  करते 
ओस कणो सें , सीखें हम ।
त्याग और बलिदान रखें मन,
कभी न मन के दीखे गम ।।



खुद  मिटकर  भी  भूख मिटादें
ओस बूँद पर हितकारी ।
स्वेद किसानों, मजदूरों का
सैनिक भू का उपकारी ।।



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*रामबाबू शर्मा"राजस्थानी"*
   *दौसा (राज.)*


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