रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

🌴पर्यावरण संरक्षण🌴
      जितने भी है,सज्जन सारे,
      सबको शीश झुकाता हूँ ।
      पर्यावरण चेतना के भाव,
      मै आज,गीत में गाता हूँ।।
      
      अगर,कुछ गलती हो तो ,
       माफ मुझे कर देना ।
      याद रहे कर्तव्य हमारे,
      शपथ आज तुम ले लेना।।


       हम स्वार्थ के अन्धे ,भूले,
       जीवन के अहसासों को ।
       हमने भौतिक धर्म सजाकर,
       जकड़ा,उडती साँसों को ।।


       उठती आज वेदना मन में,
       देख धरा के सीने को ।
       कटते वृक्ष ,बचाने प्रकृति,
       लालायित हैं जीने को ।।


       हाल रहा,यदि यही तो ,
      प्रकृति ऐसा नाच दिखाएगी।
      भौतिकवादी सत्ता पल में,
     तहस- नहस हो जायेगी ।।


      सदियों से सुनते आये हम,
      वृषा पेड बुलाते है ।
      फिर भी काट- काट कर हम,
      इनकी देह जलाते है ।।
   
     धुआं,शोर, शराबा  इससे ,
     हमकों नित बचना होगा ।
     प्रदुषण के इस पिशाच को,
     अब, वस मे करना होगा ।।


     चलो करें हम आज प्रतिज्ञा,
     करे ,जैव संरक्षण हम ।
     ताकि नहीं भविष्य में पायें,
     कोई मनुज रंज-ओ-गम ।।
         रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)


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