🌴पर्यावरण संरक्षण🌴
जितने भी है,सज्जन सारे,
सबको शीश झुकाता हूँ ।
पर्यावरण चेतना के भाव,
मै आज,गीत में गाता हूँ।।
अगर,कुछ गलती हो तो ,
माफ मुझे कर देना ।
याद रहे कर्तव्य हमारे,
शपथ आज तुम ले लेना।।
हम स्वार्थ के अन्धे ,भूले,
जीवन के अहसासों को ।
हमने भौतिक धर्म सजाकर,
जकड़ा,उडती साँसों को ।।
उठती आज वेदना मन में,
देख धरा के सीने को ।
कटते वृक्ष ,बचाने प्रकृति,
लालायित हैं जीने को ।।
हाल रहा,यदि यही तो ,
प्रकृति ऐसा नाच दिखाएगी।
भौतिकवादी सत्ता पल में,
तहस- नहस हो जायेगी ।।
सदियों से सुनते आये हम,
वृषा पेड बुलाते है ।
फिर भी काट- काट कर हम,
इनकी देह जलाते है ।।
धुआं,शोर, शराबा इससे ,
हमकों नित बचना होगा ।
प्रदुषण के इस पिशाच को,
अब, वस मे करना होगा ।।
चलो करें हम आज प्रतिज्ञा,
करे ,जैव संरक्षण हम ।
ताकि नहीं भविष्य में पायें,
कोई मनुज रंज-ओ-गम ।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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