14 फरवरी के शहीदों के नाम
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अमर। बलिदानी
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यह तिरंगा शान से यूं ही अब लहरायेगा,
जो बढ़ेगा इस तरफ वह धूल में मिल जाएगा।
गांधी नेहरू गौतम नानक इस धरा के पूत थे,
प्रेम के थे वह पुजारी शांति के वह दूत थे।
मन में ले आदर्श उनका दोस्ती के वास्ते,
खोलने चाहे थे हमने बंद थे जो रास्ते।
पुलवामा में कारवां में जा रहे इंसान थे,
बदले में सीमा पर अपनी आ रहे हैंवान थे।
खूब बदला दोस्ती का पाक ने हमसे लिया,,
आड़ लेकर दोस्ती की कारवां पर हमला किया।
देश के खातिर मिटे जो देश की खातिर जिए,
वीर सेनानी हमारे अंतिम सफर पर चल दिए।
धन्य है वह वीर ऐसे धन्य ऐसी
माएं हैं,
शत्रुओं का काल बन जो शत्रुओं पर छाए हैं।
गोद सूनी हो गई और मिट गया सिंदूर है,
बहन से बिछड़ा है भाई काल कितना क्रूर है।
लाल अपने रक्त से हिम पर्वतों को कर दिया,
पर तिरंगे को कहीं पर भी नहीं झुकने दिया।
लड़ते-लड़ते शत्रुओं से जो सदा को सो गए,
आज करते हैं नमन उनको अमर जो हो गए।
ऋषि कुमार शर्मा कवि बरेली
9837753290.
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
ऋषि कुमार शर्मा कवि बरेली 9837753290.
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