जय माँ शारदे
हर हर महादेव
चतुष्पदी छंद
शिव शंकर भोले , मम मन डोले , दया करो त्रिपुरारी।
मैं दर पर आया , शीश नवाया , कष्ट हरो त्रिपुरारी।
गल मुण्डन माला , नैन विशाला , रूप चतुर्भुज धारी।
जन जन सुखदायक , सदा सहायक , भक्तन के हितकारी।
संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें