*प्यार या छलावा*
विधा : गीत
जबसे मिली है नजरें,
बेहाल हो रहा हूँ।
तुमसे मोहब्बत करने,
कब से तड़प रहा हूँ॥
कोई तो हमें बताये,
कहाँ वो चले गए हैं।
रातों की नींद चुराकर,
खुद चैन से सो रहे हैं॥
ये कमबख्त मोहब्बत,
क्या-क्या हमें दिखाए।
खुद चैन से रहे वो,
हमें क्यों रोज रुलाये॥
करना है अगर मोहब्बत,
तो आजा आज मिलने।
वरना मेरे दिल से,
क्यों खेल रहे थे अब तक॥
जो गैर से करोगे,
अब आगे तुम मोहब्बत।
खुद चैन से तुम भी,
कभी रह नहीं पाओगे॥
मुझसे किया क्यों तुमने,
इतना बड़ा छलावा।
कही का भी न छोड़ा,
प्यार में अपने फ़साके।
अब तो रहम कर दो।
सपनो में न आके॥
जबसे मिली है नजरें,
बेहाल हो रहा हूँ…॥
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
08/02/2020
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