संजय जैन (मुम्बई)

*मोहब्बत ने लिखना सीखा दिया*
विधा : कविता


मेरी मोहब्बत ने मुझे,
लिखना सीखा दिया।
लोगो के मन को,
पढ़ना सीखा दिया।
बहुत कम होंगे जो मुझे,  
 पढ़ने की कोशिस करते होंगे।
वरना जमाने वालो ने तो,
मरने को छोड़ दिया था।


न धोका हमने खाया है,
न धोका उसने दिया है।
बस जिंदगी ने ही एक,
नया खेल खेला है।
जो न कह सकते है,
और न सह सकते है।
बस बची हुई जिंदगी को,
जीनेकी कोशिस कर रहे है।।


चिराग जलाया करते थे, 
अंधेरों में रोशनी के लिए।
तभी तो जिंदगी ने अब,
अंधेरा कर दिया।
देखकर रोशनी को,  
अब हम डर जाते है।
की कही अंधेरों से भी,  
 नाता न छूट जाये।।


जय जिनेन्द्र देव की 
संजय जैन (मुम्बई)
15/02/2020


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