*तेरी यादों में...*
विधा : कविता
तेरी यादों को अभी तक,
दिल से लगाये बैठा हूँ।
की तुम लौटकर आओगे।
मेरे लिए नहीं सही तो,
परायें के लिए ही सही।
तभी आप की धरोहर,
आप को सौप देंगे।
और इस मतलबी दुनियाँ से,
कुछ कहे बिना ही निकल जाएंगे।।
इसलिए कहता था तुमसे की,
दिलके इतने करीब मत आओ,
की लौटना मुश्किल हो जाए।
दिल मे यदि कोई मैल हो तो,
उसे थोड़ा बाहर निकले दो।
क्योकिं हम तो अपना दिल ,
पहले ही तुम्हें दे चुके है।
बस अब तुम्हरी बारी है।।
क्योंकि दिल अब सुनता नही,
किसी ओर के लिए।
नाम तेरा रटता रहता है,
हर धड़क धड़कने में।
अब तुम्ही बताओ मुझे,
करे तो क्या करे।
या तो दिल की धड़कने मिटाए,
या फिर खुद ही .......।।
सोचता हूँ जाने से पहले,
कि कुछ ऐसा करके जाऊं।
और अपनी मेहबूबा की,
याद में कुछ तो बनबाऊं।
जिसे देखकर प्रेमी युगल,
ताजमहल को भूल जाये।
और पुराने इतिहास को,
नई मोहब्बत के साथ पढ़े।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
19/02/2020
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