संजय जैन (मुम्बई)

*छोड़ आया*
विधा : कविता


दिलके इतने करीब हो,
फिर भी मुझसे दूर हो।
कुछ तो है तेरे दिल में,
जो कह नही पा रही हो।
या मेरी बातें या मैं तेरे को,
अब समझ आ नही रहा।
तभी तो मुझ से दूरियां,
तुम बनाती जा रही हो।।


गीत गुन गुने की जगह, 
तुम उदास हो रही हो।
कैसे समझ पाऊंगा में,
तुम्हारे बोले बिना।
क्योंकि दिल मेरा,
बहुत साफ पाक है।
मोहब्बत की इवादत के लिए।
अब तय तुम्हें करना है की,
इसे परवान चढ़ने दे या नही।।


हंसी वादियां छोड़,
आया हूँ तुम्हारे लिये।
तेरे दर्द को कम करने आया हूँ,
अपने गमो को छोड़ के।
जितने श्रध्दा प्रेम से,
तुमने चाहा है मुझे।
उतनी ही श्रध्दा से,
तुम्हें अपनाने आया हूँ।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
22/02/2020


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