*शर्मिंदा हूँ*
विधा : कविता
मिजाज कुछ बदला बदला सा,
नजर आ रहा है।
मानो दिल में कोई,
तूफान सा छा रहा है।
जो तेरी नजरो में,
मुझे नजर आ रहा है।
लगता है पूरी रात,
तुम सोये नही हो।
तभी तो चेहरा मुरझाया
हुआ आज दिख रहा है।।
कोई बात तेरे दिल में,
उथल पुथल मचा रहा है।
जो तेरी दिलकी धड़कनों
को,
तेजी से बढ़ा रहा है।
जिससे तेरे चेहरे की,
रंगत आज उड़ी हुई है।
जो मेरी बैचेनी को,
भी बढ़ा रहा है।।
माना कि तुम कुछ दिनों से,
नाराज चल रही हो।
और मिलने से भी,
अब डर रही हो।
एक बार क्या में,
मिलने नही आ सका।
जिसकी इतनी बड़ी सजा,
खुद को दे रहे हो।
और मुझे खुदकी नजरो में
शर्मिदा कर रहे हो।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
24/02/2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें