संजय शुक्ल  कोलकाता

इतना मुझसे प्यार करोगे ये मैंने ना सोचा था
मेरे दिल को छू जाओगे ये मैनें न सोचा था।।


फूल खिलेंगे गुलशन में फ़िर ये  मैने न सोचा था।
मेरी बगिया महकेगी फ़िर ये मैनें न सोचा था।।


चांद खिलेगा रातों में फ़िर भर जाएगा उजियाला ।
मेरी चाहत की फुलवारी महकेगी ना सोचा था।।


तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ आंखें बातें करती हैं ।
दिल का दरिया बह निकलेगा ये मैनें न सोचा था।।


आज सुना है धुप खिली है सुर्ख हुई गलियां सारी।
संजय के घर बारिश होगी ये मैनें न  सोचा था।।


✍🏻 रचयिता : संजय शुक्ल 
कोलकाता ।


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