इतना मुझसे प्यार करोगे ये मैंने ना सोचा था
मेरे दिल को छू जाओगे ये मैनें न सोचा था।।
फूल खिलेंगे गुलशन में फ़िर ये मैने न सोचा था।
मेरी बगिया महकेगी फ़िर ये मैनें न सोचा था।।
चांद खिलेगा रातों में फ़िर भर जाएगा उजियाला ।
मेरी चाहत की फुलवारी महकेगी ना सोचा था।।
तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ आंखें बातें करती हैं ।
दिल का दरिया बह निकलेगा ये मैनें न सोचा था।।
आज सुना है धुप खिली है सुर्ख हुई गलियां सारी।
संजय के घर बारिश होगी ये मैनें न सोचा था।।
✍🏻 रचयिता : संजय शुक्ल
कोलकाता ।
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