गांव की मिट्टी
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सबा बन बन के महकेगी हमारे गाँव की मिट्टी।
हर इक आंगन से महकेगी हमारे गाँव की मिट्टी।।
जहाँ अलगू की चौपलें और काका की फटकारें ।
रहट के चाल पे थिरकेगी मेरे गाँव की मिट्टी।।
चली आयेगी धानी ओढ़ चुनरिया यहाँ सरसों।
छटा बन बन के बिखरेगी हमारे गाँव की मिट्टी ।।
जहाँ पनघट की गागर पे लिखा है नाम राधा का।
बड़ी बन ठन के निकलेगी हमारे गाँव की मिट्टी।।
इसी मिट्टी मे घुटनों पे चले श्री राम और कान्हा।
नहा गंगा में संवरेगी हमारे गाँव की मिट्टी ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित-रचनाकार:
✍🏻 संजय शुक्ल ✍🏻 कोलकाता
मोबाइल नं:9432120670
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