मनमोहन हे मेरे मितवा
चुरा लियो मनवा मेरों
बनी माधुरी माधव तेरी
अब मन रहों न मेरों
तुम शक्ति प्रकृति मैं तेरी
राधे तुमसे ही परिपूर्ण
जगत नियन्ता गिरिधारी
तुम बिन राधे नहीं पूर्ण
गो लोक या धरा लोक
मैं बिन पानी की मीन
जगजननी तव शक्ति से
है तुम बिन राधा दीन
हे मुरलीधर तेरी मुरली नें
मोह लीनों चित्त हमारों
मुरली तौ देओं हमें कृष्णा
और हमें आप संभारों।
युगलरूपाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
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