सत्यदेव सिंह समथर

वो तुम्हारे कागज पर मेरी तकदीर नहीं जाती।
मेरी इन आँखों से तुम्हारी तस्वीर नहीं जाती।।


ढूंढूं तुमको या फिर इन आँखों से आँसू पोंछू
ये दिल दुखता है कि कलेजे की पीर नहीं जाती


नींदों के पंछी पलकों पर आना छोड़ चुके हैं
ये प्यार है कि तसव्वुर से तस्वीर नहीं जाती


परिवार को देखूँ तो पत्थर रखता हूँ इस दिल पर
वर्षों साथ में गुजरे वक़्त कि तकरीर नहीं जाती


मुझको यूँ छोड़ के दुनिया से रुखसत हो गये हो तुम
पर हर वक्त नजर आने की तदबीर नहीं जाती


आपका सत्यदेव


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