चुरा लूं तेरी आँखों का काजल
दिल में तुझे बसा लूं
तुम ही तो मेरी जीवन सुरभि
सांसों में तुम्हें रमा लूं
खोया खोया सा रहता हूं मैं
जब होता नहीं दीदार
भूल जाता मैं गम दुनियां के
जब मिलता तेरा प्यार
जन्नत लगता सानिध्य तुम्हारा
तुम बसन्त की बहार
सब अनुराग लुटा दूँ तुम पर
मेरे जीवन के आधार
राग रंग तुम सौम्यता हो मेरी
अलक तेरी मनभावन
तिरछी चितवन मन को मोहे
गात तेरा अति पावन
बस जाओ मेरे दिलवर दिल में
खुले है हृदय कपाट
सत्य समर्पित प्रियतमा तुमको
हर पल जोहे तेरी बाट।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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