माँ पूर्व जन्मों का सुकृत और मन्नत है
माँ के आंचल में तो बच्चों को जन्नत है
माँ ममता प्यार का अदभुत उदगम है
माँ का ममत्व पाकर रहता कहाँ गम है
सौभाग्यशाली जिन्हें माँ का प्यार मिला
ममता ही नहीं खुशियों का संसार मिला
माँ की मूरत में धरा पर दीखें भगवान है
माँ जैसा और न कोई धरती पै महान है
ममता की जड़ें करें सन्तति का पोषण
स्नेह का पाठ पढ़ाती संस्कारों का रोपण
बच्चे की पीड़ा से जिसका सीना चिरता
थोड़ी सी चुभन देख माँ का लहू गिरता
शब्द नहीं पास मेरे माँ का गुणगान करूँ
कर्ज मुक्त होकर खुद का उत्थान करूँ।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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