सत्यप्रकाश पाण्डेय

तुम ही मेरे मीत और न जग में कोई
जब से मिले सांवरे सुधबुध मैंने खोई


देखो सब स्वारथ से बंधे यहां जग में
बिन स्वारथ के कोई पूछे नहीं भव में


भक्तों के रखवाले और न तुमसा कोई
जब से मिले सांवरे सुधबुध मैंने खोई


दीन हीन के सहारे दरिद्रनारायण कहाये
जिसने भी तुम्हें पुकारा दौड़े दौड़े आये


जापै कृपा तुम्हारी तापै करे सब कोई
जब से मिले सांवरे सुदबुध मैंने खोई


मुरलीधर हे राधाबल्लभ आश्रय में लीजे
मेरे अधम कृत्य पर स्वामी ध्यान न दीजे


सत्य शरण आपकी लीजिए शरण सोई
जब से मिले सांवरे सुदबुध मैंने खोई।


जय श्री राधेबल्लभ🙏🙏🙏🙏🌸🌸🌸🌸


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...