मेरे मन के आनन्द और हर्ष हो तुम ही जीवन के
हे मेरे बांकेबिहारी तुम ही सुख मेरे अन्तर्मन के
नहीं जग संताप की चिंता तेरे विरह की तड़पन है
नहीं गम जग जीवन मरण का उर में तेरा स्पंदन है
छोड़ न देना साथ तू मेरा बिन तेरे न रह पाऊंगा
जिंदगी की डगर में एक पल बिन तेरे न चल पाऊंगा
हे माधव एक अरदास है तुझसे मझधार में छोड़ न देना
भक्ति पथ से विचलित न हो जाऊं ऐसा वरदान मुझे देना।
श्रीकृष्णाय नमो नमः 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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