हे जगदीश मुदित हूँ तेरी भक्ति में
न पूजा न अर्चन मैं तो प्रेम पुजारी
सारा जग निहित है तेरी शक्ति में
नहीं शब्द न भाव कैसे भजूं मुरारी
तेरा सानिध्य बना जीवन सहारा
मुरलीधर तुम्हें देख देख हरषाऊँ
न जानूँ वन्दन और अभिनन्दन
मैं तो निशदिन तेरे ही गुण गाऊं
असुर निकन्दन हे राधा बल्लभ
कभी मोय जग तृष्णा नहीं व्यापै
सत्य हृदय के हार श्री गोविन्द
मेरों मन सदा राधे कृष्णा जापै।
श्री युगलरूपाय नमो नमः
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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