सत्यप्रकाश पाण्डेय

कैसे भूलें तोय सांवरे
रोम रोम में तुमही समाये
छोड़ के सारे जग को
एक तुमही हमारे मन भाये


हुआ कृष्णमय जीवन
तुम्ही बने हृदय की धड़कन
शाम सवेरे मेरे कान्हा
तेरे नाम की रहती पुलकन


अपने रंग में रंगों कृष्ण
लगे श्यामल सारा ही जहान
तुच्छ जीव के आश्रयदाता
अपना ये जीवन बने महान।


श्री माधवाय नमो नमः🌸🌸🌸🌸🌸🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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