मां शारदा
तेरी कृपा पाकर वीणापाणि ,
जग में कौंन न निहाल हुआ।
तुमसे विलग हुआ जग में,
वो तो निश्चय ही बेहाल हुआ।।
स्वेत वसन हे!ज्ञानदायिनी,
माता तेरे है अनंत उपकार।
तेरा ज्ञान पीयूष पाकर मां,
हुआ कृतार्थ सारा संसार।।
दैदीप्यमान मुखमंडल माते,
अवर्चनीय गुणों की हो धाम।
ज्ञान ज्योति से आलोकित,
नर को मिला दिव्य मुकाम।।
वरद हस्त कर पुस्तक साजे,
अवगुण तमस देख मां भाजे।
तुलसी सूर कालिदास आदि,
तव प्रसाद पा जगत में राजे।।
मैं अज्ञान अनाड़ी मूरख मां,
जग आदि व्याधि से है त्रस्त।
आ गया हूं मां शरण आपकी,
भव तापो से कर दो आश्वस्त।।
सत्यप्रकाश पाण्डेय🌺🌺
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें