सीमा शुक्ला

भारत मां के सच्चे सपूत तुम अमर हो गये बलिदानी।
करता है तुमको देश नमन है धन्य तुम्हारी कुर्बानी।
वे कायर थे जो पीछे से 
छिपकर के तुम पर वार किये।
भारत माता के बेटो का 
बेदर्दी से संहार किये।
है आज सिसकती ये धरती,
 रो रहा आज है नील गगन,
जो किये लहू से तुम सिंचित ,
है आज बहुत गमगीन चमन।
निज प्राणो की देकर आहुति 
ध्वज नीलगगन है लहराया,
सर्वस्व निछावर हुआ मगर,
 ये देश नही झुकने पाया।
हे लाल शहादत मे तेरी  गम मे है हर  हिन्दुस्तानी
करता है तुमको देश नमन है धन्य तुम्हारी कुर्बानी।
हो गई मांग ओ भी सूनी ,
कल ही जो गई  सजाई थी,
 बेरंग हो गई चूनर,मेहदी,
 चूड़ा सजी कलाई थी।
नन्हे अबोध बेटा-बेटी,
 पापा कहने को तरसेंगें,
राखी आयेगी बहनो की ,
आंखो से आंसू बरसेगे।
हर रिश्ते टूटे बिखर गये,
 किसकी कितनी मै कथा लिखूं ?
अनकहा दर्द का मंजर है,
 कैसे कितनी मै व्यथा लिखूं?
बलिदान देश हित देख यहां बस आंख बह रहाहै पानी।
करता है तुमको देश नमन है धन्य तुम्हारी कुर्बानी।
हे नीतिनियंता बंद करो सब,
 दर्द जरा देखो उनका।
जो खोये अपना लाल वही,
 बस एक सहारा था जिनका।
पूछो उस मां  दर्द तिरंगे मे जिसका बेटा आया,
सोंचा था सेहरा बांधूगी पर,
 बदन कफन लिपटा आया।
हो गई पूज्य  ओ माता जिसका
 लाल देश को अर्पित है ,
है नमन उन्हे भारत माता को 
 जिनका लहू समर्पित है।
लिख गये अमिट इतिहास धरा ये वीरो की है दीवानी।
करता है तुमको देश नमन है धन्य तुम्हारी कुर्बानी।
 सीमा शुक्ला।


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