बहुत की चाह
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हर रास्ते पे काटे हैं बहुत ।
हर दामन पे दाग है बहुत।
हर दिल पे जख्म हैं बहुत।
हर दिल पे दर्द है बहुत।
हर दिल पे ख़ुशीया है बहुत।
हर मन में इच्छायें है बहुत।
हर लम्हों का इंतजार है बहुत।
हर किसी को यादों में जीने
की आदत है बहुत।
हर किसी को आने वाले कल
की इंतजार है बहुत।
बहुतों की आदत हो गई है बहुत।
बहुतों में समायें है बहुत ।
श्रीमती राधा चौधरी।
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