श्याम  कुँवर भारती

गजल - ज़िंदगानी से प्यार क्या करे  
जब तुझे आना ही नहीं तेरा इंतजार क्या करे |
वादा करके निभाना ही नहीं तेरा एतवार क्या करे |
जिंदगी गुजारी है मैंने अंधेरों मे ,
अब उजालों से प्यार क्या करे |
दिल की बात छुपाने की आदत बन गई ,
अब उनको राजदार क्या करे |  
खाई है चोट मैंने अपनो  से,
अब उन्ही पे दिल निसार क्या करे |
कत्ल किया है मेरा वफ़ादारों ने ,
अब वार ये तलवार क्या करे |
लाकर छोड़ दिया है मजधार मे मुझे,
अब कस्ती- ए- जस्ती पार क्या करे| 
मौत से ही मैंने दोस्ती कर ली ,
अब जिंदगानी से प्यार क्या करे |  
श्याम  कुँवर भारती


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