गजल - खता करनेवाले
दे गए दिल मे दाग दिलवार दगा देनेवाले |
ले गए मेरी जान प्रियवर वफा करनेवाले |
दिल ही तो मांगा मैंने कोई खजाना तो नहीं |
दे गए मुझको घाटा अक्सर नफा करने वाले |
फिर भी पुकारता है दिल तड़पकर नाम उनका |
कह गए मुझको पागल परवर खता करनेवाले|
सहता हु हर जुल्मो सितम सनम तेरे इश्क मे |
मुंह फेर गए मुझसे, मुझको खुदा कहनेवाले |
तड़पाओगे कबतक जानम अबतो रहम करो |
बहा गए आँसू छुपकर , मुझे जुदा करनेवाले |
श्याम कुँवर भारती
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
श्याम कुँवर भारती
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