भोजपुरी देवी गीत-3-दे दा दरसनवा माई |
तोहरे चरनिया अइली माई ,
बनिके भिखरिया न हो |
दे दा दरसनवा माई,
भरी के नजरिया न हो |
चरण के धूर माई सिरवा चढ़ाई |
धोई के चरनिया माई अमरित बनाई |
दे दा दरसनवा माई,
अइली माई के नगरिया न हो |
अपने बलकवा गोदीया उठाला |
सगरो जनमवा माई पपवा मिटा ला |
करी दा जतनवा माई ,
सवारा मोर ऊमीरिया न हो |
तोहरे कीरपा दुख दूर होई जाई |
पूरा होई मनसा सफल जिंनगी होई जाई |
खोला तू नयनवा माई ,
खोला तू नयनवा माई ,
मिटावा दुख शारीरिया न हो |
दे दा दरसनवा माई,
भरी के नजरिया न हो |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी ,मोब 9955509286
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
श्याम कुँवर भारती (राजभर ) कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें