स्नेहलता नीर गीत
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स्याह हुआ है जीवन दुख में ,
एक आस की किरण दिखाओ।
जग के कष्ट मिटाने वाले,
आकर मेरे कष्ट मिटाओ।
रिश्तों की पावन बगिया में,
अंतहीन पतझर छाया है।
प्रीति छलावा मोह बाँधता,
वैभव ने मन उलझाया है।
बनो नेह की श्याम बदरिया,
बरस -बरस कर मुझे भिगाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में ,
एक आस की किरण दिखाओ।
बनी तुम्हारी मैं दीवानी,
तुमको अपना सब कुछ माना।
ध्येय बनाया है जीवन का,
बस तुमको ही है अब पाना।
दर्शन के अभिलाषी नैना ,
और न इनको अब तड़पाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में ,
एक आस की किरण दिखाओ।
लेकर चाह मिलन की तुमसे,
गमन निरन्तर मेरा जारी।
छलनी पाँव किये शूलों ने,
क़दम -क़दम है बढ़ना भारी।
करके कृपा श्याम सुंदर अब,
निज चरनन की दास बनाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में,
एक आस की किरण दिखाओ।
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