सुनील चौरसिया'सावन' प्रवक्ता, केंद्रीय विद्यालय टेंगा वैली, पश्चिम कमेंग, अरूणाचल प्रदेश।

 


कविता- फिसल गयी जिंदगी...


समय की रेत पर फिसल गयी जिंदगी।
देखते ही देखते में ढल गयी जिंदगी।।


करवटें बदल-बदल सोया निशदिन,
अंत में करवट बदल गयी जिंदगी।।


दुल्हन जस सजाकर रखा था इसे,
हाथों से यूं ही निकल गयी जिंदगी।।


हवा से बचा कर रखा था सुरक्षित ,
रखे-रखे बर्फ जस गल गयी जिंदगी।।


मौत के ताप से तप कर 'सावन',
मोम जस यूं ही पिघल गयी जिंदगी।।


हर पल जिंदगी को छलता रहा,
अंत में मुझको ही छल गयी जिंदगी।।


समय की रेत पर फिसल गयी जिंदगी।
देखते ही देखते में ढल गयी जिंदगी।।


          - सुनील चौरसिया 'सावन'
            अमवा बाजार, रामकोला,
            कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।
            9044974084, 
            8414015182


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