सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
   *"पर्यावरण"*
"इतने लगाये वृक्ष,
बनी रहे हरियाली-
बढ़ते रहे वन।
प्रात:भ्रमण को मिले,
सार्थकता-
तृप्त हो नयन।
शुद्ध हो वातावरण,
कम हो प्रदूषण-
शांतिपूर्ण हो शयन।
महकता रहे जीवन में,
उपवन सारा-
सुगन्धित हो सुमन।
मिलते रहे फल- फूल-औषधी,
सार्थक हो जीवन-
बलिष्ठ हो तन-मन।
भटके न नभचर कही,
आसरा मिले उनको-
सार्थक हो पर्यावरण।
इतने लगाये वृक्ष,
बनी रहे हरियाली-
बढ़ते रहे वन।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः      सुनील कुमार गुप्ता

ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...