कविता:-
*"सुख और शांति"*
"कोई नहीं चाहता साथी,
जीवन में-
अपने अशांति।
न ही चाहत कोई कभी,
जीवन में अपनें-
आये दु:ख-दर्द।
सभी की चाहत यही साथी,
जीवन में हो-
सुख और शांति।
-फिर भी,
क्यों -दु:खी होता ये मन,
क्यों-जीवन में रहती-
अशांति।
जब तक जीवन मे साथी अपने,
सुख-दु:ख में होगा नहीं समभाव-
कैसे-मिलेगी शांति?
जहाँ अपनत्व का जीवन में,
होगा मान-सम्मान-
वही होगी सुख और शांति।
कोई नहीं चाहता साथी,
जीवन में -
अपने अशांति।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 15-02-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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