कविता:-
*"स्त्री बड़ी महान"*
"गरीब के चलते वो तो,
निकली घर से-
करने मज़दूरी का काम।
कड़ी धूप में सिर पर बोझा,
होठो पर है-मुस्कान-
ये स्त्री बड़ी महान।
मुस्कान के पीछे छिपी
खुशी,
मिलेगा इससे अन्न जल -
फिर करेगी वो आराम।
थक भी जाये वो तो भी,
गरीबी से होगी न परेशान-
होठो पर बनी रहेगी मुस्कान।
गरीबी के चलते वो तो,
निकली घर से-
करने मज़दूरी का काम।।"
सुनील कुमार गुप्ता
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