सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *"सागर"*
"सागर से गहरा प्रेम तेरा,
जीवन में हर पल -
संग निभाना है।
नदियों सी विचारधारा ,
अलग अलग-
सागर में मिल जाना है।
अपनत्व की खातिर ही तो यहाँ,
साथी जीवन में-
जीना और मर जाना है।
टूट कर न बिखरेगे हम,
बादल बन जाना-
बरस फिर सागर में मिल जाना हैं।
इन्द्रधनुष के रंगों से ही,
इस जीवन को-
साथी यहाँ महकाना है।
सागर से गहरा प्रेम तेरा,
जीवन में हर पल-
संग निभाना है।।


        सुनील कुमार गुप्ता


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