सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
      *"यौवन"*
"यौवन की दहलीज़ पर,
रखे जो कदम-
मन मयूरी नाच उठा।
देखने लगे दिन मे सपने,
मन मधुर मिलन के-
गीत गा उठा।
यौवन में लगता हैं यही,
सपनो का राजकुमार-
यही कही छिपा बैठा।
मधुमास छाया है जीवंन में,
पतझड़ की उदासी-
साथी भूला बैठा।
यौवन की मस्ती में साथी,
जीवन के संस्कार-
यहाँ भूला बैठा।
यौवन की दहलीज़ पर ,
रखे जो कदम-
मन मयूरी नाच उठा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःः
         सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः         14-02-2020


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